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रचना - गम्योड़ा सबद

कसमीर
रगतिया रा सबद तिरै है
म्हारै ओलै-दोलै
झीलां रो पाणी
लासां स्यूं गंदलिजग्यो है
अब नीं उठै है केसर री सोरम
सुक्योड़ी क्यार्यां स्यूं।
टाबरां री किलोलां
हिंवालै री बरफ हेठै दबगी दीसै।
धोली चांदी जैड़ी बरफ
अबार ललाई देवण लागी है
गैरै अन्धारै बिलखतै बण
छूटती मिसाइलां अर गोल्यां बिच्चै रातां काढी है।
मिन्दरां री घण्टयां कोनी सुणीजै अबार
जद स्यूं भाठै रै भगवान सामी
पुजारी रो कत्ल होयो है
मस्जिदां ई अजान किंया उठै
जठै मिनखखोरां बन्दूक अर बारूद लकोयौ है।
जींवती लास बणग्यौ है
सलाम रो बाप
बो हरमेस चीखै
चिरलावै
रोवै है धाप
कालै तांी मुलकती सलमा
ताती बरफ मांय गलगी
अर लाधी ही तो फगत
लोई स्यूं ल्याड़िज्योड़ी बींरी सलवार।
बेटी री लास ढोवणौ
मरणै स्यूं दोरौ है
पण सीता रो बाप
फेर ई कीं सोरो है
बींरी बेटी तो गलणै स्यूं पैङली
बलगी ही कलजुगी अगन परख मांय।
अबै ईद रै दिन
हमीद रै घरै सेई कोनी बणै
बणै है तो हमीद री आंख्यां मांय तिरतो
सेई जीमतो
भायलै रामसुख रो चैरो
जिको अचाणचकै पड़ै
अर खिण्डै है च्यारूंमेर
रागत रा छींटा अर मांस रा लोथड़ा।
यूसुनफ री मां हाल उड़ीकै
सीवां पार गयोड़ै यूसुफ नै
पण सतनाम री तो उडीक ई खतम होगी
जद उडीक री चिन्ता स्यूं चिन्तीजती बीं री मां
आप ई चिता सो गी।
भूख स्यूं झगड़ता मजूरिया
लाई किसी जमीन बंटावै हा
जूणां रा भारिया ढोंवता
बापड़ा दोरौ सोरौ टैम टिपावै हा
पण मिनखखोरां नै बेई कद सुवाया
सणै लुगाई टाबरां सूत्यां नै खापण उढाया।
कांईं ठाह कित्त घाव, कित्ती बातां
रगतियै आंसुजड़ मांय डूब्योड़ा दिन
मौत रै सरणाटै री कित्ती रातां
म्हूं काढी है आंख्यां माखर
पल-पल घुलतै सर धुड़कतै।
थारी धरती रो सुरग
हां सुरक कैङयो हो थे
च्गर फिरदौस बरुए जमींअस्त
हमीं अस्तो हमींअस्तो हमींअस्त।छ
पण आज री घड़ी
म्हूं पजग्यो हूं
भींत बिचालै लाठी जिंयां
कठैङई हिन्दू बाढीजै तो कठैङई बढै है मिंयां
पठै म्हूं हुलसूं कींकर, मुलकूं कींयां ?
कैवण न तो थारै माथै रो मोड़ हूं
अर बांरी आंख्यां री किरकिरी
पण म्हूं मोड़िजूं
खैंचीजूं
अर किचरीजूं हरमेस
थारी अर बांरी अणख मांय।
थां दोनां री जिद रो रूलायोड़ौ
म्यूं घायल पांगलो फकीर हूं
माथै रो मोड़ बतावणियों
म्हूं थारो सागी कसमीर हूं।


नूंवाअरथ
किस्यौ धमर कैङवै
मिनखां नै बाढ ?
किस्यो करम कैङवै
टाबरां नै कुकाण ?
पछै क्यूं धरम करम री भोलावणी
नित रा मिनख बाढीजै
अर टाबर कुकाणिजै।
कदास कलजुग मांय
धरम-करम रा अरथ बदलीजग्या।
मिनखां रै बाढणियां
टाबरां नै कुकावणियां
गिणतरी रा राकस
आपरै सुवारथां
धरम-करम रा नित नुंवां माईना काढै
अर नूंवै अरथां नै थरपावण तांईं
राकस बणयोड़ा मिनख
मिनखां नै बाढै।

काल अर आज
बा
अणख कठै प्रताप जिसी
बै बरदाई रा गीत कठै ?
बै पातल पीथल री बातां
सागर गोपै री चीख कठै ?
गल चूड़ालवत रै सैनाणी
पन्ना री आंख्यां रो पाणी
हम्मीर हठीं सा वीर कठै
हा सीस कटी हाड़ी राणी ?
सूत्योड़ा सिंघ जगावणियां
मायड़ रो मान बधावणियां
है कुम्भै जैड़ा पूत कठै
सांगै ज्यूं घाल बै खावणियां ?
पद्मण रै जौहर री काङणी
मीरां री भगती रस वाणी
दादू रा गूंज्यां गीत जठै
बा बेली क्रिसन रूक्मणी।
चेतक जद टाप लगाई ही
हलदीघाटी थर्राई ही
जद झालै राजमुकट धार्यौ
मुगली फौजां भरमाई ही।
तलवार, कटारां, बन्दूकां
तोपां स्यूं जद जाय भीड़ी
सीस कट्या परण तणी रई
रजपूती छात्यां खूब लड़ी।
रजपूती आण निभावै हा।
गोरै बादल सा बीर बंका
बैर्यां रो काल बण आवै हा।
इला नीं देणी आपणी
जद मायड़ सीख सिखावै
तो डूंगरियै धोरां री आ धरती
हरख-हरख हरखावै।
पण आज पड़ी क्यूं मांदी चमक
रणभूमि खड़क्यै खाण्डा री
सिंधा रो जंगल होंवतां थकां
हुंकार सुणीजै भाण्डां री।
सीवां पर बैरी ललकारै
पण म्हे बोला बण जावां हां
डूंब नीं मरां पाणी मांय
मायड़ रो दूध लजावां हां।
दुसमण नित रो कुचमाद करै
म्हे हंसङर दांत दिखावां हां
म्हे कुलघाती म्हे कायर हां
पम जाबक नी सरमावां हां।
देवां ओलमौ क्यूं किण नै
अठै सगलै कूवां भांग पड़ी
जलम भौम री कुण सोचै
अठै भासा रोवै खड़ी-खड़ी।
कवि बणग्या है चाटूकार
पठै राजा न समझावै कुण ?
लुक्या लिखारा श्रीफल मांय
फेर सांची बात बतावै कुण ?
सांच कैङवूं तो चिणखो लागै
कूड़ा छन्द बणै कोनीं
आं लखणां सुण भाइड़ा
अपै बार घणी पड़ै कोनी।
अजै बगत है चेतौ करल्यां
टैम टलै पिछतांवाला
नीं साम्ही जे आण आपरी
माटी रा थेहड़ बण ज्यावाला।

तिनखा स्यूं आगलो दिन
हां याद है अजै तांई
बालपणै मांय पिताजी री तिनखा
अर तिनखा स्यूं आगलौ दिन।
पिताजी रो रास लिखणो
दूधआलै रो हिसाब लगावणो
साथै मां रो याद दिरावणो
च्हैं ओ, सुणो हो के
अबकालै चीणी कीं बेस्सी ल्याया
सामीं तिंवार आवै
बाणियै नै लैरलै तेल रो ओलमौ जरूर देया
छमकै मांय झाग आवै।छ
चा झलांवती कैङवै है मां।
कप स्यूं प्लेट मांय घाल
चा सुड़कता पिताजी गुणगुणावै
च्सीताराम-सीताराम-सीताराम कहिए
जांही बिधी राखे राम तांही बिधी रहिए।छ
पुराणी पैण्टां रा सीम्योड़ा दो बड़ा थेला
म्हूं टांगू बाइसिकल रै हैण्डल माथै।
किराणै री दुकान माथै
एक-एक चीज जांच परख
तुलांवता पिताजी
कित्ता अपरोगा लागता पंसारी नै
जद दस भांत री चीज दिखायां पछै भी
नीं चंजती बारै चित्त
झाडू स्यूं लेर मूंग दाल तांईं
कित्ती बारीकी स्यूं जांचता।
बाणियै रो बणायोड़ौ
हिसाब रो पानो दो बिरियां बांचता।
गिण-गिण घलावतां थेलै मांय रासन रा नग
वजन है हिसाब सारू
अर गिण-गिण झलांवता बाणियनै नै रिपिया
पान्नै रै हिसाब सारू।
घरै पूगण स्यूं पैली
बै कदेई नीं भूल्या लेवणो
मेघजी री रेड़ी स्यूं मेस्सू री परसादी
अर भंवरजी री दुकान स्यूं
मद्रास पत्तै आलौ जरदै रो पान।
ठाह नीं कींयां रैङवतो बाङनै
आं सगली बातां रो सावल ध्यान ?

धरतीरोनेह
धोरां आली धरती होवै, सावण झड़ी लागी होवै
खेत मांय लूंकड़ होवै, टीबै ऊपर झूंपड़ होवै
झूंपड़ मांय बैठी गौरी गुलगला बणावती होवै।
धोरां आली धरती होवै....
चौकी माथै ऊभ्या बाबौ, होक्कौ गुड़गुड़ांवता दीसै
माऊ दही बिलोंवती होवै, भावज बैठी चूण पीसै
हाऊ भूआ आटौ गून्धै, माटी री परात होवै।
धोरां आली धरती होवै.....
फोफलियां रै साग मांय खेलरी रलाई होवै
फोगलै रो रायतौ अर सांगरी बणाई होवै
खीरां हेठै सेक्योड़ी बाट्यां रो सुवाद होवै।
धोरां आली धरती होवै...
झाड़की रा बेर तांड़ां, काकड़िया सिरकाए जावां
मतीरै री खुपरी करां, खुरड़-खुरड़ खाए जावां
सांड रै दूध आली चा री कांई बात होवै।
धोरां आली धरती होवै...
मावड़ियां री धोक लागै, गोगै जी रा डेरूं बाजै
झोरड़ै रो हरियौ बाबौ, तोलाणै बैठ्यो भैरूं नाचै
बालाजी रो रातीजोगौ जागणिया लगांवता होवै।
धोरां आली धरती होवै...
सियालै रो तावड़ियौ अर उन्हालै री कीकर छियां
फागणियै री जबरी बिरखा भूलुं तो म्हूं भूलुं किंयां
पून्यु आलौ चान्द आभै, गौरड़ी रो साथ होवै
धोरां आली धरती होवै, सावण झडी लागी होवै।

दो पगांरो जिनावर
अमूझती जिनवाणी मांय
जे कदास परैम अर हरख री बिरखा हो जावै
इण सुवारथी दुनिया नै
उण बिखा स्यूं निपजी मिनख मुलक नीं सुहावै।
मानखौ मानखै रै झरूंटिया भरै
अनै एक दूजै री टांग्या खींचै
कली फूलड़ौ बणन स्यूं पैली
दो पगां रै जिनावर री पगथल्यां हेठै किचरीजै।
डांडी चालतै रै कुचमाद करणी दुनियां री रीत है
खावणौ-पीवणौ कर लात सरकावणी
जग मांय सांची प्रीत है।
अबै तो बिरमा जी घणाई रोंवता हुस्सी
आपरी करणी माथै
कै क्यूं ओ जिनावर बणायो
अर बणायौ तो पछै अकल क्यूं घाली।
आ कोथ स्यात बां पढी कोनीं
मूरख नै टको दे देवणौ पण अकल नीं देवणी।
बिरमा रा सिरज्योड़ा ऐ कागडोड
इस्या पदाइस बिरमा खूंजै मांय राखै
इंछासारू बिरमा रो सगलौ कडूम्बौ सिरज न्हाखै।
पण कई मिनख बापड़ा गऊ जैड़ा सुद्धा
अर कई जाबक ई ऊद बिलाव जैड़ा ऊद्धा।
ऐ सूधिया माणस कार घणी करै
पण हाथ कीं नीं आवै
अर भूख स्यूं बांथेड़ां करै।
लूंठा गोधा खोस-खोस खावै
बांरा कारज बिना हाथ हलायां ई सरै।
जणांईं तो रूंख माथै बैठ्यो सूवो गावै
घ्ऐ लूतरा कुचमादी ढांडा ई
ओ भव सागर तिरसी
हरख री बिरखा स्यूं निपजी
मिनख मुलक बापड़ी कांई करसी।

बिरहणगोरड़ी
भागफाटी उठणौ
आखै दिन उडीकणौ
बारणौ रो खुड़कणौ
पण थारो नीं आवणौ
भलै भीज्यै नैणा स्यूं मनड़ौ समझावणौ।
सिन्झया रो ढलणो
बाखल टाबरियां रो रमणौ
गायां रो पाछो बावड़नो
पखेरूओं रो घुरसाली पूगणो
पण थारो नीं आवणौ
भलै भीज्यै नैणा स्यूं मनड़ौ समझावणौ।
बैरण रातड़ली आई
पण साथै नींदड़ली नीं लाई
होठां री मुलक रो गमणो
हिवड़ै उजासां रो मांदो पड़नौ
पण थारो नीं आवणौ
भलै भीजै नैणा स्यूं मनड़ौ समझावणौ।
रात्यूं तारा गिणनौ
धरती स्यूं आभै री दूरी मिणनौ
चान्दड़लै रो चिगावणौ
अंधारौ अणखाणो
पण थारो नीं आवणो
भलै भीज्यै नैणा स्यूं मनड़ौ समझावणौ।
तारा पाछा आभै लुक्या
नैण भीज-भीज सुक्या
परभा रो उजास होणो
कूकड़ै रो बोलणौ
पण थारो नीं आवणौ
भलै भीज्यै नैणां स्यूं मनड़ौ समझावणौ।
चे चावौ मोह नै अरथावणौ
जे चावौ सूनी सेजां नै सजावणौ
तो बेगा आवो म्हारा केसरिया सायब
अब जूणा मांय अन्धारो लागै अणखावणौ
भलै भीज्यै नैणां स्यूं मनड़ौ समझावणौ।

मून
लड़्यां पछै
नीं तू बोलै नीं म्हूं।
एक मून तिरण लागै आपणै बिच्चै
कित्तौ अपरोगौ
कित्तौ अणखावणौ।
तूं ई पिछतावै अर म्हूं ई।
टैम चालता रैङवै
पण मून कीं नीं कैङवै
जद तांईं कै
रूणिया भूणिया नी कर न्हाखै
तार-तार तिरतै मून नै।
मून तूटतां ई सागण ई तूं
अर म्हूं ई बौ
भलै हुवां हां त्यार
दूसर लड़ण नै।

घाणीरीकविता
घाणी री चरड़ चूं स्यूं
नित नूंवां आखर निपजै
जिका सिरज सकै
जिनवाणी री अणगणित कवितांवां
पण घाणी जुत्यां पछै
कलावन्त नीं जाण सकै
नूंवैं आखरां री बारखड़ी रो अरथ
पछै कुण आपरी जिनवाणी री कविता सिरजै ?
ऐ बातां न्यारी
कै
दूजां री घाणी रै आखरां स्यूं
आज जणौ कणौ कविता सिरजै।

कीड़ीनगरौ
हमै थै मकोड़ां री गिणती कर सको
पण मिनखा गिणती नीं हू सकै।
मिनख तो मूंफली रै बूंटै दांईं
परसरतौ ई जावै
रातौ रात कांई ठाह कित्ता गोटा
बूंटै-बूंटै रै लाग जावै।
पण मानखौ नीं चेतै जाबक ई
इण पसरती जिनग्यां री बेल स्यूं
आं जीवां तांई दाणां कठै स्यूं आसी
कठै ऐ टाबरिया रैङसी
कुण आनै भणावैलो
कुण पैरण आला गाभा देसी ?
आं लखाण ऐ किलबिलावैला
सांगोपांग मकोड़ां दांईं।
सारी पिरथी बण ज्यावैली कीड़ीनगरौ
पण सींचणियौं कोई नीं व्हैला
एक दूजै री टांग्यां खींचता कींड़ां दांईं
आपसरी मांय लड़-लड़ मरैला।
एक झूंपड़ै मांय पचास जीव अनै
एक रोटी रा च्यार धिराणा
जींवतां री छोड़ौ थे
कठै बणास्यां मर्योड़ां तांई मुसाणां।
कीड़ीनगरौ बणनै स्यूं पैङली
मकोड़ां दांई मरणऐ स्यूं पैङली
माणसां, रोको रे इण पसरती बेलड़ी नै
बिरथा ना सिरजो बूंटै माथै नूंवां गोटा
उगयोड़ै गोटां री कदर जाणो
टैम री चकरी रो सुभाव पिछाणो।

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अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
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